Fastest Technique of Homoeopathy, Mind method, Vital force and homoeopathic action

MIND METHOD या तकनीक होम्योपैथी में ट्रीटमेंट करने की एक बहुत ही कारगर तकनीक है, ये एक एडवांस तकनीक है जो क्लासिकल मेथड से अलग है और बहुत ही फ़ास्ट रिजल्ट देती है 

आम तौर पर देखा गया है की लोगो के बिच में होम्योपैथी को लेकर कई भ्रांतिया फैली हुई है जिसमे से सबसे ज्यादा ये है कि होम्योपैथी धीरे असर करती है, परन्तु ये सत्य नहीं है अगर माइंड मेथड से ट्रीटमेंट किया जाये तो ये इतना फ़ास्ट है कि इसका असर कुछ ही मिनटों (5-10) में पता चल जाता है 

होम्योपैथी में माना जाता है कि ट्रीटमेंट बीमारी का नहीं बीमार का करना चाहिए, इसका क्या मतलब हुआ,अर्थात  हम अगर बीमार का इलाज करेंगे तो बीमारी अपने आप ठीक हो जाएगी, ये कैसे संभव है ! अगर हम अपनी चेतना को जागृत कर के होम्योपैथी के नियमो को ध्यान से पड़े तो हमें समझ में आता है कि डॉ हैनिमेन ने कहा था कि हमारे पुरे शरीर को हमारा वाइटल फोर्स चलाता है जो कि हमारे शरीर कि प्रत्येक कोशिका में फैला हुआ है, और इसकी शक्ति से ही हमारा शरीर हर क्रिया करता है, चूँकि यह हर कोशिका में फैला होता है इसलिए हर कोशिका को शक्ति प्रदान करता है जिससे कि वह अपने हिस्से का काम सुगमता से कर सके लेकिन जब किसी कारणवश   ये derange होता है अर्थात इसकी शक्ति में बदलाव होता है जैसे हमारे घरो में बिजली कि supply होती है जिससे उससे चलने वाला हर उपकरण सुगमता से चल पाता है,परन्तु जब बिजली कि supply में गड़बड़ी होती है अर्थात या तो ज्यादा आएगी या कम तो ये उससे चलने वाले उपकरणों को छति पहुँचाती है जिससे वो ठीक से काम नहीं कर पाते या फिर पूरी तरह से damage हो जाते है ठीक इसी प्रकार से जब हमारी कोशिकाओं में पहुंचने वाला वाइटल फ़ोर्स derange हो जाता है अर्थात उसमे गड़बड़ी आ  जाती है तो हम बीमार हो जाते है, वाइटल फ़ोर्स का derangement किसी भी कारण से और किसी भी जगह से हो सकता है जैसे घर में supply होने वाली बिजली में गड़बड़ी या तो आगे से ही हो जाये या फिर घर के अंदर मैन supply से लेकर किसी कमरे में रखे हुए छोटे से उपकरण में। इसी तरह जब हमारा vital force पैदाइसी derange होता है तो जन्मजात बीमारिया होती है, जिस कोशिका में vital force derange होगा वह कोशिका बीमार हो जाएगी और जब हम वाइटल फ़ोर्स को ठीक कर देते है तो ये कोशिका को पर्याप्त ऊर्जा देता है और बीमारी को ठीक कर देता है। इसी लिए होम्योपैथी बहुत ही फ़ास्ट पैथी है क्योकि यह energy  लेवल पर काम करती है। और इसीलिए हमें बीमारी के नाम पर इलाज नहीं बल्कि वाइटल फ़ोर्स का इलाज करना चाहिए। पर सवाल ये आता है की हम वाइटल फ़ोर्स को पकड़े कैसे ! वैसे तो अलग-अलग डॉक्टर्स ने अपने-अपने हिसाब से अपने-अपने मत दिए है, पर सबसे सही और सटीक तरीका है, वो है MIND METHOD; जब मरीज बीमार होता है तो प्रत्यक्ष रूप से उसका एक अंग या कुछ अंग प्रभावित होते है, पर उसके बीमार होने का असल कारण तो उसके वाइटल फ़ोर्स का derange (बीमार) होना होता है, जोकि पुरे शरीर में फैला होता है, जिसका असर सिर्फ उन अंगो तक ही सिमित नहीं रहता जो बीमार हुए है परन्तु पुरे शरीर पर होता है, जो अंग बीमार हुआ है वो तो अपने सामान्य लक्षण दर्शाएंगे जो की बीमारी के लक्षण होते है जिसमें  वाइटल फ़ोर्स के बहुत कम लक्षण होते है जिससे दवाई का सही चुनाव नहीं हो पाता सिर्फ आंशिक चुनाव ही कर पाते है , इस तरह से select की हुई दवा से जब रोगी का इलाज किया जायेगा तो उसका असर भी आंशिक ही होगा। लेकिन बीमारी उस रोगी के व्यक्तित्व पर भी लक्षण दर्शाती है जो की वाइटल फ़ोर्स के होते है और इन्ही लक्षणों को  MIND के symptoms कहा जाता है , इन लक्षणों के आधार पर जब हम दवाई देते है तो वह सीधे वाइटल फ़ोर्स को प्रभावित करती है और सही दवाई का चुनाव करने पर वो वाइटल फ़ोर्स को ठीक कर देती है, इसीलिए well being का अहसास पहले आता है फिर यह वाइटल फ़ोर्स बीमारी को पूर्ण रूप से ठीक कर देता है 

                                                                                                                                       Dr. Jitendra Birle

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